उत्तरकाशीउत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसाउत्तराखंड

सरकार उठाएगी श्रमिकों का हाल जानने आने वाले परिजनों का खर्च

9 दिन बाद श्रमिकों के परिजनों को सताने लगी है अपनों की चिंता

देहरादून। उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में फंसे हुए 41 श्रमिकों के परिजनों को अब उनकी चिंता सताने लगी है। श्रमिकों की कुशलता जानने के लिए अब परिजन घटनास्थल पर ही पहुंच रहे हैं। इससे सरकार की चिंता और बढ़ गई है। इस पर अब सरकार ने तय किया है कि श्रमिकों की कुशलक्षेम जानने के लिए जो परिजन वहां आ रहे हैं, उनका आने-जाने, मोबाइल, खाने और ठहरने का खर्च सरकार उठाएगी। सरकार का कहना है कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग हादसे में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने को बचाव कार्य युद्धस्तर पर  चल रहा है।

12 नवंबर को सिलक्यारा सुरंग में 40 श्रमिकों के फंसने की खबर आई थी। घटना के एक सप्ताह बाद एक और श्रमिक का सुरंग में फंसे होने का पता चला। कुल 41 श्रमिक पिछले 9 दिन से टनल के अंदर फंसे हुए हैं। इससे उनके परिजनों को ज्यादा चिंता हो रही है। इस कारण से अब वो घटनास्थल की ओर रुख कर रहे हैं। ताकि वो उन्हें बचाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू आपरेशन को देख सकें और उनसे बातचीत कर स्वयं को आश्वस्त कर सकें।

दरअसल, घटना को पूरे 9 दिन हो गए हैं। मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री और रेस्क्यू आपरेशन में शामिल सभी अधिकारी फंसे हुए श्रमिकों से बातचीत और उन्हें आक्सीजन समेत जरूरी भोजन इत्यादि वहां पहुंचाने की बात कर रहे हैं, लेकिन श्रमिकों के परिजन भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनकी चिंता बढ़ रही है। इसीलिए अब श्रमिकों के परिजन उत्तरकाशी का रुख करने लगे हैं। इसके मद्देनजर ही सरकार ने उनके साथ इस आपदा की घड़ी में खड़े होने के लिए अच्छा फैसला लिया है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने श्रमिकों के परिजनों को घटना स्थल तक आवागमन, प्रवास, मोबाइल रिचार्ज, भोजन तथा अन्य जरूरी देखभाल का भी पूरा इंतजाम सरकार ने किया है। ताकि श्रमिकों की कुशलक्षेम जानने के लिए यहां आने वाले परिजनों को कोई कठिनाई न हो। इसके लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही हिदायत दी कि इस काम को पूरी संवेनदशीलता व तत्परता के साथ किया जाय। ताकि सुरंग में फंसे श्रमिकों और उनके परिजनों को किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े।

सरकार ने दूसरे राज्य के अधिकारियों से बचाव कार्य समेत अन्य जानकारी साझा करने को समन्वय टीम में तीन और अधिकारियों को मौके पर भेज दिया है। सभी अधिकारियों को बचाव कार्य से जुड़ी व्यवस्थाओं में तत्काल योगदान देने के निर्देश दिए गए हैं। दूसरे राज्यों के श्रमिकों के परिजनों व इन राज्यों के अधिकारियों से संपर्क व समन्वय बनाए रखने को घटना के दिन से ही उत्तरकाशी में पुलिस का कंट्रोल रूम स्थापित किया जा चुका है। वहां से परिजनों को अपडेट जानकारी दी जा रही है। शासन स्तर पर भी वरिष्ठ आईएएस डॉ नीरज खैरवाल को केंद्रीय संस्थानों, एजेंसियों और विशेषज्ञों की टीम से समन्वय की जिम्मेदारी पहले ही दी गई है। साथ ही एसडीएम शैलेन्द्र सिंह नेगी को भी पहले से मौके पर भेजा गया है।

इसके अलावा मुख्यमंत्री के निर्देश पर गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय ने हरिद्वार के एसडीएम मनीष सिंह, डीएसओ हरिद्वार तेजबल सिंह और डीपीएओ रुद्रप्रयाग अखिलेश मिश्रा को टीम में शामिल करने के आदेश दे दिए हैं। यह सभी अधिकारी जिलाधिकारी उत्तरकाशी के निर्देश पर श्रमिकों के परिजनों के लिए भोजन, आवास और परिवहन के अलावा बचाव कार्य से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण  व्यवस्था देखेंगे। सभी को तत्काल मौके पर जिम्मेदारी का निर्वहन करने के निर्देश दिए गए हैं।

सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिये चलाये जा रहे रेस्क्यू अभियान में सहयोग करने के भारत सरकार के आग्रह पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी सिलक्यारा पहुँच गए। अर्नोल्ड डिक्स इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एशोसिएशन (आईटीए) के अध्यक्ष है।

उत्तराखंड सरकार के केंद्रीय संगठनों से रेस्क्यू अभियान में समन्वय के नोडल अधिकारी और सचिव डॉ. नीरज खैरवाल, एनएचएआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद, निदेशक अंशु मनीष खलखो,  जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स के साथ विचार विमर्श कर रेस्क्यू अभियान की रणनीति पर चर्चा की।

इसमें संदेह नहीं कि अब केंद्र और राज्य सरकार टनल विशेषज्ञ तमाम देश-विदेश की एजेसियों से परामर्श लेकर टनल में फंसे लोगो को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है। लेकिन इसके बावजूद अभी भी टनल में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने को लेकर कुछ संदेह पैदा हो रहा है। हालांकि सरकार का दावा है कि सभी श्रमिक सुरक्षित हैं और उन्हें आक्सीजन से लेकर खाने-पीने का सामान पहुंचाया जा रहा है।

 

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