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बड़े मन का व्यक्ति ही आध्यात्मिक हो सकता हैः राजनाथ

जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के आचार्य पीठ पर पदस्थापन के 25 वर्ष पूर्ण

हरिद्वार। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को कनखल स्थित श्री हरिहर आश्रम में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के आचार्य पीठ पर पदस्थापन के 25 वर्ष पूर्ण होने एवं श्री दत्त जयंती के अवसर पर आयोजित आध्यात्मिक महोत्सव में प्रतिभाग किया।

आध्यात्मिक महोत्सव में सभी सन्तजनों को प्रणाम करते हुये रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के आचार्य पीठ पर पदस्थापन के 25 वर्ष पूर्ण होने के दायित्व निर्वहन कार्यकाल पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जिसका मन बड़ा होता है, वही आध्यात्मिक होता है। यह कार्य छोटे मन का नहीं कर सकता है तथा जो बड़ा मन का है, वही समाज को दिशा दे सकता है। उन्होंने कहा कि मन जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है, उसका आनन्द भी बढ़ता जाता है तत्पश्चात वह धीरे-धीरे परमानन्द की प्राप्ति करता है।

रक्षा मंत्री ने आध्यात्मिक महोत्सव में बैंकिंग चन्द्र चटर्जी के उपन्यास आनन्द मठ का उल्लेख करते हुये कहा कि किस प्रकार से संन्यासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था। उन्होंने कहा कि संन्यासियों का देश की सामाजिक, सांस्कृतिक व्यवस्था से हमेशा जुड़ाव रहा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि राजा अपना काम ठीक से करे, इसकी समीक्षा करने का अधिकार साधु-सन्तों को ही है। उन्होंने कहा कि जब कोई सन्त बनता है तो वह सबसे पहले अहम को त्यागते हुये वयम् को अपनाता है तथा वह जो भी कार्य करता है चराचर जगत के लिये करता है तथा पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है। इसलिये बसुधैव कुटुम्बकम की भावना को देने का श्रेय संन्यासियों को है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उल्लेख करते हुये श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उनके नेतृत्व में भारतीय सांस्कृतिक विरासत के उन्नयन एवं समृद्धि के लिये निरन्तर कार्य किये जा रहे हैं, जिनमें काशी कारीडोर, उज्जैन, अयोध्या में राम मन्दिर, केदारनाथ मन्दिर परिसर में कार्य कराया जाना आदि प्रमुख हैं।

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आध्यात्मिक महोत्सव में सभी को नमन करते हुये कहा कि जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने तप, तपस्या तथा आध्यात्मिक मूल्यों का संरक्षण करते हुये लाखों सन्तों को दीक्षा दी तथा देश व दुनिया में वे संस्कृति के वाहक के रूप में प्रख्यात हैं तथा उनका ज्ञान दिव्य अनुभूति देता है।  उन्होंने कहा कि जितने भी सन्त यहां विराजमान हैं, उन्होंने अपने जीवन को समर्पित करते हुये चुनौतियों व कठिनाइयों से लड़ने का ज्ञान दिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोस्वामी तुलसीदास जी के रामचरित मानस की पंक्ति-सन्त समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ होय…. का उल्लेख करते हुये दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव में सभी सन्तों आदि को नमन किया। उन्होंने जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का उल्लेख करते हुये कहा कि उनके व्यक्तित्व में चुम्बकीय तत्व हैं, जो भी उनके सम्पर्क में आता है, वह उनकी ओर खींचा चला जाता है। उन्होंने कहा कि आज यहां समृद्ध सन्त परम्परा के एक साथ दर्शन हो रहे हैं, जो वसुधैंव कुटुम्बकम् को चरितार्थ कर रहा है।

आध्यात्मिक महोत्सव को महामण्डलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि, पूज्य स्वामी चिदानन्द मुनि, स्वामी रामदेव, श्री सुधांशु त्रिवेदी, श्री सुरेश चौहान आदि ने भी सम्बोधित किया। मंच का संचालन स्वामी हरिचेतनानन्द जी ने किया।

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