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मां ने बेटे को किडनी देकर बचाया, डाक्टरों के सफल आपरेशन से मिला युवक को नया जीवन

युवक क्षय रोग से पीड़ित था, हेमोडायलिसिस भी हो गया था फेल

ऋषिकेश। एक मां ने अपने बेटे को किडनी देकर उसको दोबारा जीवन दिया है। यह सब संभव हो सका है ऋषिकेश और दिल्ली एम्स के डाक्टरों के सहयोग से। यह युवक क्षय रोग से पीड़ित था और इसकी हेमो डायलिसिस भी फेल हो गया थी। डाक्टरों के प्रयास से इसका किडनी ट्रांसप्लांट कर इसका जीवन बचा लिया गया।

एम्स ऋषिकेश में किडनी ट्रांसप्लांट का यह दूसरा मामला है, जो पूरी तरह से सफल रहा। मूलरूप से दिल्ली के नंगला गांव निवासी 32 वर्षीय सचिन वर्तमान में देहरादून में बीआरओ दफ्तर में तैनात है। पिछले 3 साल से किडनी की बीमारी से परेशान सचिन का काफी समय से डायलिसिस चल रहा था।

रोगी ने मई 2022 में एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग से संपर्क किया और विशेषज्ञ चिकित्सकों को अपनी बीमारी के बारे में बताया। मरीज को न केवल किडनी की समस्या थी बल्कि उसके हार्ट में भी संक्रमण की शिकायत थी। नेफ्रोलॉजी विभाग की डॉ. शेरोन कंडारी ने बताया कि रोगी का पहले 4 महीने तक क्षय रोग का इलाज किया गया।

इस दौरान उसका डायलिसिस भी जारी था। लेकिन रोगी का शरीर कमजोर होने के कारण हेमोडायलिसिस करने में दिक्कत खड़ी हो गई। ऐसे में विकल्प के तौर पर अगले 3 महीनों तक रोगी को पेरिटोनियल डायलिसिस (प्रत्यक्ष रूप से पेट के निचले हिस्से में सर्जरी करके एक नली डालकर शरीर के बेकार पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया) से गुजरना पड़ा।

टीम में शामिल रहे एम्स के यूरोलॉजिस्ट और यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ. अंकुर मित्तल के अनुसार किसी व्यक्ति के शरीर की जब दोनों किडनियां काम करना बंद कर देती हैं तो उसे किडनी ट्रांसप्लांट (गुर्दा प्रत्यारोपण ) की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में शरीर के किसी ऑर्गन (अंग) ट्रांसप्लांट तकनीक की यह प्रक्रिया अत्यन्त जटिल होती है।

सफलतापूर्वक किए गए किडनी प्रत्यारोपण मामले बाबत डॉ. मित्तल ने बताया कि मरीज के स्वास्थ्य की स्थिति सामान्य होने पर दिल्ली से आई विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के मार्गदर्शन में 16 सितंबर को पेशेंट सचिन के शरीर में गुर्दा प्रत्यारोपित कर दिया गया। इस प्रक्रिया में लगभग 4 घंटे का समय लगा।

संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने गुर्दा प्रत्यारोपण करने वाले डॉक्टरों की टीम को बधाई दी और कहा कि हमारे विशेषज्ञ चिकित्सकों के प्रयास से किडनी ट्रांसप्लांट से संबंधित प्रक्रियाएं अब रूटीन स्तर पर होने लगी हैं। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने भी ट्रांसप्लांट करने वाली टीम की प्रशंसा की है।

एम्स दिल्ली के चिकित्सकों का मिला सहयोग:
ट्रांसप्लांट के लिए एम्स दिल्ली की ट्रांसप्लांट टीम के विशेषज्ञ चिकित्सकों को बतौर मार्गदर्शन के लिए बुलाया गया था। इस टीम में एम्स दिल्ली की ट्रांसप्लांट टीम के प्रो. वीरेन्द्र कुमार बंसल, प्रो. संदीप महाजन, प्रो. लोकेश कश्यप, डॉ. असुरी कृष्णा, डॉ. ओम प्रकाश प्रजापति और डॉ. साई कौस्तुभ आदि शामिल थे।

टीम में यह विशेषज्ञ चिकित्सक रहे शामिलः
एम्स यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल, डॉ. विकास पंवार और डॉ. पीयूष गुप्ता, डॉ. कर्मवीर, नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव शेखर, डॉ. शेरोन कण्डारी और डॉ. संदीप सैनी, ऐनेस्थेसिया विभाग के डॉ. संजय अग्रवाल, डॉ. वाई.एस. पयाल और डॉ. प्रवीण तलवार आदि शामिल थे।

 

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