वीरभूमि फाउंडेशन के स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में 111 यूनिट ब्लड संग्रह
देहरादून। भाजपा प्रवक्ता और राज्य सभा सांसद सुंधाशु त्रिवेदी ने कहा कि जनरल बिपिन रावत में डिफेंस के मामले में ज्ञान की अदुभुत क्षमता थी। उनके पास हर समय डिफेंस से संबंधित और भारत की रक्षा रणनीति को लेकर सटीक जवाब होता था।
दून विश्वविद्यालय में देवभूमि विकास संस्थान के तत्वावधान में जनरल बिपिन रावत की पुण्य स्मृति में दूसरी व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। डा. नित्यानंद आडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि त्रिवेदी ने भारत की ज्ञान परंपरा और युद्ध के बीच संबंध पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस बने, यह संयोग था। आने वाले समय में बहुत से लोग सीडीएस का दायित्व निभाएंगे लेकिन जनरल रावत उन सबमें हमेशा अलग रहेंगे। सीडीएस का निर्णय मोदी सरकार का एक बहुत बड़ा फैसला था, और उसका नेतृत्व करने का पहला मौका जनरल रावत को मिला। जनरल रावत को एक महान यौद्धा बताते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व को डोमिनेट करने के लिए नहीं बल्कि मोटिवेशन के लिए उभर रहा है। इस नए भारत को समझने की जरूरत है। इसका आधार क्या होगा, आधार वही होगा, जिसे कही बार सांप्रदायिक कहकर लांछित किया जाता है। वैदिक ज्ञान और उपनिषदों का ज्ञान हजारों साल से केवल भारत के पास रहा है। आज दुनिया भी इसे मानने लगी है।
उन्होंने कहा कि जनरल बिपिन रावत से व्यक्तिगत तौर पर बातचीत करने का भी उन्हें काफी अवसर मिला। क्योंकि मैं भी पार्लियामेंट की डिफेंस स्टैंडिंग कमेटी का सदस्य हूं। उस कमेटी की बैठक में कही बार एजेंडे से बाहर के सवाल भी होते थे, लेकिन जनरल रावत के पास उन सभी का सटीक जवाब होता था। सीडीएस के नाते वह तीखे सवालों का भी सही जवाब देते थे। डिफेंस कमेटी में राहुल गांधी भी हैं इसलिए समझा जा सकता है कि किस तरह के डिफेंस से संबंधित सवाल आते होंगे। लेकिन जनरल रावत के पास डिफेंस की रणनीतिक तैयारी की पूरी जानकारी होती थी। उनका डिफेंस ज्ञान अद्वितिय था।
त्रिवेदी ने कहा भारत प्राचीन काल से ही ज्ञान के मामले में दुनिया में सबसे आगे रहा है। लेकिन मैकाले और मार्क्स ने अपने हिसाब से हम पर शिक्षा व्यवस्था को थोपा। भारत के राजाओं ने कभी भी किसी युद्ध में नरसंहार नहीं किया। आज भी भारतीय सेना पर यूएन पीस डिफेंस में भी मानवाधिकार हनन के नगण्य आरोप लगते हैं।
कार्यक्रम् की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि देवभूमि विकास संस्थान सामाजिक कार्यों को बढ़चढ़कर आयोजित कर रहा है। पर्यावरण संरक्षण, पानी बचाने, नदियों को स्वच्छ रखने और पुनर्जीवित करने तथा वृक्षारोपण करने का कार्य कर रहा है। नदियों को पुनर्जीवित करने का हमारा प्रयास है। यह संदेश देने के लिए है। महायोद्धा को श्रद्धाजंलि केवल वाणी से नहीं सामाजिक सेवा के जरिए भी की जानी चाहिए। उन्होंने युवाओं से कहा कि यह याद रखें कि वीरों की छाती पर राष्ट्र टिका हुआ है। हमारी संस्कृति टिकी हुई है।
इससे पहले दून विश्वविद्यालय की कुलपति डा. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि जनरल रावत की स्मृति में यह दूसरी व्याख्यान माला है। इस मौके पर जनरल बिपिन रावत पर लिखी महायौद्धा शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक का भी सुधांशु त्रिवेदी ने विमोचन किया।
इस अवसर पर जनरल बिपिन रावत की स्मृति में प्रदर्शनी भी लगाई गई। दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। जनरल रावत की स्मृति में वीरभूमि फाउंडेशन की ओर से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। इसमें 111 यूनिट रक्त संग्रह किया गया। फाउंडेशन के अध्यक्ष राजेश रावत ने कहा कि रक्तदान में युवाओं ने बढ़चढ़कर भाग लिया।
इस मौके पर विधायक बृजभूषण गैरोला, लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष मेजर जनरल आनंद सिंह रावत, निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा, विश्व संवाद केंद्र के प्रभारी विजय सिंह, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डा. आरके जैन मौजूद रहे। कार्यक्रम में जनरल बिपिन रावत की बीरता पर लिखे गीत को गायिका रेखा धस्माना उनियाल के स्वर में प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन दून विवि के डा. एच सी पुरोहित ने किया। मुख्य अतिथि सुधांशु त्रिवेदी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आदि अतिथिगणों ने कार्यक्रम की शुरुआत में जनरल बिपिन रावत के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। आरएसएस और समाज के कल्याण के लिए समर्पित रहे डा. नित्यानंद की प्रतिमा पर भी पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया गया।