देहरादून। उत्तराखण्ड की समृद्धशाली लोक संस्कृति को दर्शाने वाले पारंपरिक छोलिया और झौडा लोक नृतकों की ढोल दमाऊँ व लोक वाद्यों के साथ प्रस्तुति को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान मिला है। यह प्रस्तुति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल ही के पिथौरागढ़ आगमन के दौरान दी गई थी।
निदेशक संस्कृति बीना भट्ट ने बताया कि सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ में समुद्र तल से 5338 फीट (1627) मीटर की आश्चर्यजनक ऊँचाई पर इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। उत्तराखण्ड के इतिहास में पहला कार्यक्रम था जिसमें जनपद पिथौरागढ़ के सुदूरवर्ती अंचलों से छोलिया एवं झौड़ा नर्तक दल के लगभग 3 हजार लोक कलाकारों द्वारा अपनी पारम्परिक वेश-भूषा एवं लोक गीतों के माध्यम से विश्व का ध्यान उत्तराखण्ड की ऐतिहासिक एवं समृद्धशाली लोक सांस्कृतिक विरासत की ओर आकर्षित किया।
उन्होंने कहा कि सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ सुदूरवर्ती अंचलों से पहुँचे छोलिया एवं झौड़ा नृत्य दलों के लोक कलाकार अपनी पारम्परिक परिधानों एवं आभूषणों से सुसज्जित होकर प्रतिभाग करने पहुँचे। लोक गीतों एवं पारम्परिक लोक वाद्यों की धुनों से पूरा पिथौरागढ़ क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। उत्तराखण्ड की समृद्ध लोक सांस्कृतिक विरासत को देखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाव विभोर हो गये।
उत्तराखण्ड के पारम्परिक लोक वाद्यों जैसे तुन, रणसिंघा, नागफनी, छोलिया ढाई व तलवार जैसे अन्य लोक वाद्य यन्त्रों ने पूरी घाटी को सुशोभित कर दिया। निदेशक संस्कृति ने कहा कि जनपद पिथौरागढ़ के सीमान्त गांवों से आये हजारों लोक कलाकारों की जीवन्त एवं विविध संस्कृतियों उनकी साझा विरासत का जीवन्त परिचय इस कार्यक्रम में देखने को मिला। लोक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का भरपूर प्रदर्शन कर लोगों को मन्त्रमुग्ध कर दिया। हिमालय पर्वत श्रृंखला की पृष्ठभूमि में आयोजित इस वृहद उत्सव ने इसे वास्तव में एक उल्लेखनीय और पहले कभी न देखा गया दृश्य बना दिया।
इस कार्यक्रम में सीमान्त क्षेत्र की पारम्परिक एवं ऐतिहासिक लोक सांस्कृतिक विरासत की अदम्य भावना का प्रदर्शन किया गया। ढोल दमाऊ एवं अन्य विभिन्न पारम्परिक वाद्यों एवं लोक संगीत पर प्रदर्शन करने वाले छोलिया और झौड़ा लोक नर्तकों द्वारा एकत्रित होकर एक विश्व रिकार्ड बनाया है, जो इतिहास के पन्नों पर एक ऐसे आयोजन के रूप में दर्ज किया जायेगा।