उत्तरकाशीउत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसाउत्तराखंड

10 दिन से टनल में फंसे श्रमिकों की कुशलता की पहली तस्वीर जारी

सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचा एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा

उत्तरकाशी। सिलक्यारा टनल में 10 दिन से फंसे मजदूरों की पहली तस्वीर जारी की गई है। सुरंग में फंसे श्रमिकों तक एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा पहुंचने के बाद यह तस्वीर आई है। इसमें श्रमिकों की कुशलता दिखाई दे रही है। इसे रेस्क्यू टीम श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मान रहा है।

सिलक्यारा टनल के पास कल ही मंदिर का निर्माण किया गया था। जहां वैज्ञानिक अपनी तकनीकी के सहारे मजदूरों को सुरक्षित टनल से निकालने के लिए देश-विदेश के टनल विशेषज्ञों की राय लेकर काम कर रहे हैं। वहीं आस्था के सहारे भी मजदूरों की सुरक्षा को लेकर कामना की जा रही है। इसी कारण से आस्था पर विश्वास करते हुए कल टनल के द्वार के किनारे मंदिर स्थापित किया गया। बाकायदा अमेरिका से आए अंतरराष्ट्रीय स्तर के टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने भी सिलक्यारा टनल के मुख्य द्वार पर बनाए गए मंदिर में शीश नवाया। अर्नोल्ड डिक्स इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एशोसिएशन (आईटीए) के अध्यक्ष है। उसके बाद ही काम शुरू किया।

इसके बाद ही कल सिलक्यारा सुरंग में चल रहे रेस्क्यू अभियान में महत्वपूर्ण कामयाबी मिली। सुरंग के अवरुद्ध हिस्से में  6 इंच व्यास की पाइपलाइन बिछाकर सेकेंडरी लाइफ लाइन बनाने के लिए की जा रही ड्रिलिंग पूर्ण कर मलवे के आर पार 53 मीटर लंबी पाइपलाइन डालने में सफलता मिली। इसके जरिए ही श्रमिकों तक खाद्य सामग्री पहुंचायी जा रही है।

एनएचएआईडीसीएल के निदेशक अंशुमनीष खलखो,जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला और टनल के भीतर संचालित रेस्क्यू अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने मीडिया को यह जानकारी देते हुए बताया कि रेस्क्यू की इस पहली कामयाबी के बाद श्रमिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकालने के प्रयास तेजी से संचालित किए जाएंगे।

सुरंग में फंसे श्रमिकों के जीवन की रक्षा के लिए अबतक 4 इंच की पाइपलाइन ही लाइफलाइन बनी हुई थी। अब सेकेंड्री लाइफ लाइन के तौर पर छह इंच व्यास की पाइप लाइन मलवे के आरपार बिछा दिए जाने के बाद श्रमिकों तक बड़े आकार की सामग्री व खाद्य पदार्थ तथा दवाएं और अन्य जरूरी साजो सामान के साथ ही संचार के उपकरण भेजने में सहूलियत हो गई है। जिससे अंदर फंसे श्रमिकों के जीवन को सुरक्षित बनाये रखने का भरोसा कई गुना बढ़ा है। इस अच्छी खबर के बाद श्रमिकों और उनके परिजनों साथ ही रेस्क्यू के मोर्चों पर खुशी और उत्साह है। रेस्क्यू के अन्य विकल्पों को लेकर अब उम्मीदें उफान पर हैं।

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