
दर्शन सिंह रावत
देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ गांव गूंजी दौरे से इस सीमांत क्षेत्र की तस्वीर संवरने की उम्मीद है। धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र पार्वती कुंड, आदि कैलाश और जागेश्वर महादेव धाम में प्रधानमंत्री के पूजा अर्चना से पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से इन्हें विश्व मानचित्र में नई पहचान मिलने की संभावना है।
चूंकी यह क्षेत्र दो अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं नेपाल और चीन सीमा से सटा है। इस कारण प्रधानमंत्री का दौरा सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। क्षेत्र के लोग मानते हैं कि पीएम के यहां पड़े कदमों से धारचूला क्षेत्र के दूरस्थ गांव चौंदास, दारमा और ब्यास घाटी में विकास की नई किरन बिखरेगी। संभवतः यह पहला मौका होगा, जब देश का प्रधानमंत्री इतने दूरस्थ क्षेत्र का दौरा कर रहा है। इससे यह क्षेत्र देश विदेश के पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगा। उनके इस दौरे से सीमांत क्षेत्र की तस्वीर तो बदलेगी साथ ही यहां के लोगों की तकदीर भी संवरने की उम्मीद है।
अभी तक यह घाटी पर्यटन की दृष्टि से ज्यादा विख्यात नहीं है। कैलाश मानसरोवर यात्रा का रास्ता होने से जरूर इस क्षेत्र को विश्व मानचित्र में देखा जा सकता है। धारचूला का यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से असीम सुंदरता लिए हुए है। इस जनजातीय इलाके की अपनी एक अलग लोक संस्कृति है। यहां के लोगों के प्रयासों से इस घाटी की संस्कृति अभी जीवंत है। विकास की किरणों से यह पूरा इलाका अभी अछूता है। यहां की अलग बोली, पहनावा, रीति रिवाज, रहन सहन और परंपराएं हैं। प्रधानमंत्री के आने से अब उम्मीद है कि इस खूबसूरत घाटी का विकास होगा।
यह कहने में किसी तरह का गुरेज नहीं है कि भाजपा सरकार में ही इस जनजातीय क्षेत्र के विकास की पहल हुई है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में पिथौरागढ़ में ट्यूलिप गार्डन विकसित किया गया। इससे इस क्षेत्र को नई पहचान मिली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गृह जिला होने से स्वाभाविक है कि उनका क्षेत्र के विकास पर फोकस है। मुख्यमंत्री इस क्षेत्र को पर्यटन और तीर्थाटन की दृष्टि से विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री का उन्हें इसमें आशीर्वाद मिल रहा है। प्रधानमंत्री का इस क्षेत्र के विकास के लिए 4200 करोड़ की योजनाओं की सौगात देना यह साबित कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड के चार धामों के विकास पर फोकस रहा है। श्री केदारनाथ धाम और श्री बदरीनाथ धाम के विकास के लिए वो कई योजनाएं धरातल पर उतार चुके हैं। कुछ योजनाओं पर अभी काम चल रहा है। अब मानसखंड मंदिर माला के तहत कैलाश मानसरोवर, आदि कैलाश, पार्वती कुंड और जागेश्वर धाम को धार्मिक दृष्टि से विश्व के मानचित्र पर लाने के लिए उनका यह प्रयास निश्चित तौर पर उत्तराखंड के आध्यात्मिक और धार्मिक विकास को नई ऊंचाई देगा।