तीन नए आपराधिक कानूनों का उत्तराखंड में सही तरीके से क्रियान्वयन जरूरी
पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष प्रस्तुतिकरण दिया
देहरादून। एक जुलाई 2024 से लागू होने वाले तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम के संबंध में पुलिस महानिदेशक श्री अभिनव कुमार द्वारा मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष प्रस्तुतिकरण दिया गया। प्रस्तुतिकरण में विस्तारपूर्वक नए कानूनों की आवश्यकता, इन्हें बनाने हेतु किये गये प्रयासों और इनकी विशेषताओं के बारे में जानकारी दी गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड पुलिस हस्तपुस्तिका का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नये कानूनों में जो प्राविधान किये गये हैं, इन कानूनों के लागू होने के बाद प्रदेश में इनका सही तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। इन कानूनों की जानकारी के लिए प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था की जाए और आम जन को इन कानूनों की जानकारी हो इसके लिए विभिन्न माध्यमों से कानूनों का प्रचार-प्रसार किया जायेगा। इनके प्रचार-प्रसार के लिए सूचना विभाग का सहयोग लिया जाए।
पुलिस महानिदेशक द्वारा नये कानूनों की आवश्यकता के बारे में अवगत कराया गया। नए कानूनों का तीन मुख्य तथ्यों न्याय, समानता एवं निष्पक्षता को केंद्रित कर गठन किया गया है। भारतीय न्याय सहिंता 2023 में कुल 358 धाराएं होंगी जबकि वर्तमान कानून में यह 511 हैं। जिसमे 21 नई धाराओं को जोड़ा गया है, 41 धाराओं में सजा को बढ़ाया गया है। 82 धाराओं में फाईन को बढ़ाया गया है। 25 धाराओं में न्यूनतम सजा का प्राविधान, 06 धाराओं में सामुदायिक अपराधों को जोड़ा गया है एवं 19 धाराओं को हटाया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता 2023 में 531 धाराएं होंगी जबकि वर्तमान कानून में यह 484 है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में कुल 170 धाराएं हैं, वर्तमान कानून में 166 धाराएं हैं।
पुलिस महानिदेशक ने प्रस्तुतिकरण में अवगत कराया कि नए कानून पीड़ित को अधिक अधिकार प्रदान करने के साथ ही शीघ्र न्याय, आपराधिक न्याय विंग प्रणाली के सभी विंग को अधिक जवाबदेह बनाने पर जोर देता है। नए कानूनों के लागू होने पर राज्य में लागू अधिनियमों में आवश्यक संशोधन प्रस्तावित हैं। जिनमें उत्तराखंड राज्य के कुल 434 स्थानीय अधिनियमों का अवलोकन कर 74 अधिनियमों में संशोधन के प्रस्ताव के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के 343 अधिनियमों का अवलोकन कर 116 अधिनियम मंस संशोधन के प्रस्ताव एवं केंद्र के कुल 228 अधिनियमों का अवलोकन कर संशोधन का प्रस्ताव है। उन्होंने जानकारी दी कि भारतीय न्याय संहिता कि कुछ धाराओं में बदलाव किये गये हैं।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर.के सुधांशु, सचिव श्री दिलीप जावलकर, श्री चन्द्रेश यादव, एडीजी श्री अमित कुमार सिन्हा, श्री ए.पी. अंशुमन, आईजी विम्मी सचदेवा, श्री केवल खुराना, श्रीमती विमला गुंज्याल, विशेष सचिव श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल एवं पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।