उत्तराखंडशिक्षा

प्रदेश में 13 निजी विद्यालयों की होगी स्थापना

680 करोड़ के निवेश के साथ 2290 नये रोजगार होंगे सृजित

देहरादून। राज्य में प्रतिष्ठित निजी शिक्षण संस्थाओं में दी जा रही शिक्षा की पहुँच साधन विहीन छात्रों को भी हो सके, इसके लिए आगामी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दृष्टिगत निजी विद्यालयों के संचालकों/प्रबन्धकों को आवश्यकता वाले क्षेत्रों में राज्य सरकार की निवेश नीति के अन्तर्गत नये स्कूल (डे/बोर्डिंग) खोले जाने का समझौता किया गया।

राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा के सभागार में सचिव विद्यालय शिक्षा श्री रविनाथ रामन की अध्यक्षता में में बैठक आयोजित की गयी।

बैठक में निजी विद्यालयों के संचालकों/प्रबन्धकों के द्वारा की गयी पृच्छा पर सचिव विद्यालयी शिक्षा रविनाथ रामन एवं  बंशीधर तिवारी महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा द्वारा उसका समाधान दिया गया ।  उनके द्वारा बोर्डिंग एवं डे स्कूल अलग-अलग स्थानों पर खोले जाने की सहमति दी गयी।

निजी विद्यालयों के संचालकों/प्रबन्धकों के सहमत होने पर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा / राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड  बंशीधर तिवारी द्वारा राज्य सरकार की ओर से एवं इच्छुक विद्यालय के प्रतिनिधि के साथ सचिव विद्यालयी शिक्षा की उपस्थिति में समझौता ज्ञाप पर हस्ताक्षर किये गये।

इस सम्बन्ध में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा श्री बंशीधर तिवारी ने बताया कि निजी विद्यालयों के प्रबन्धकों/संचालकों को अवगत कराया गया कि राज्य सरकार द्वारा इसके लिए भूमि बैंक बनाया गया है। जिसका लाभ राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गयी नीति के अन्तर्गत निवेश पर मिल सकता है। इस इस कार्य को मूर्तरूप देने का उत्तरदायित्व विभाग द्वारा डॉ० मुकुल कुमार सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा को दिया गया था तथा उनके द्वारा निजी विद्यालयों के प्रबन्धकों/संचालकों के साथ समन्वयन करते हुए इसके क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गयी।

उन्होंने बताया कि इस अवधि में कुल 13 निजी विद्यालयों के साथ प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 वीं तक के विद्यालय खोले जाने हेतु एम.ओ.यू. हस्ताक्षर किया गया जिसमें लगभग 680 करोड़ का निवेश तथा 2290 नये रोजगार सृजन प्रस्तावित हैं। उक्त नये विद्यालयों को खोले जाने हेतु निजी विद्यालयों के संचालकों/प्रबन्धकों के द्वारा जनपद ऊधमसिंह नगर, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार, बागेश्वर आदि जनपदों के लिए सहमति दी गयी है तथा 2 वर्ष की अवधि में विद्यालय प्रारम्भ कर लिए जाने का भी आश्वासन दिया गया है।

महानिदेशक शिक्षा श्री तिवारी ने बताया कि राज्य में प्रतिष्ठित निजी शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से दी जा रही स्कूली शिक्षा की उपलब्धता प्रायः असमान रही है तथा यह केवल घनी आबादी वाले मैदानी क्षेत्रों तक ही सीमित रह गयी है। परिणामस्वरूप साधन विहीन छात्रों की पहुँच इन विद्यालयों तक नहीं हो पाती है तथा कुछ सीमा तक राज्य में पलायन को बल मिला है।

इस अवसर पर निजी विद्यालयों की ओर से श्री डी०एस० मान, श्री राकेश ओबेराय, श्री गगनजीत जुनेजा, श्री संजय सेठी, श्री भूपेश सिंह, मीता शर्मा, श्री शरद, श्री प्रेम कश्यप एवं विभागीय स्तर से श्री मदन मोहन जोशी उप राज्य परियोजना निदेशक, श्री मुकेश कुमेड़ी समन्वयक, श्री हिमांशु रावत आदि उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button